चिट्ठियों की अनूठी दुनिया
अभ्यासमाला
1. सही विकल्प का चयन करो :
(क) पत्र को ऊर्दू में क्या कहा जाता है ?
(अ) खत।
(आ) चिट्ठी ।
(इ) कागद ।
(ई) लेख।
उत्तर : (अ) खत ।
(ख) पत्र लेखन है-
(अ) एक तरीका।
(आ) एक व्यवस्था ।
(इ) एक कला।
(ई) एक रचना ।
उत्तर : (इ) एक कला।
(ग) विश्व डाक संघ ने पत्र लेखन की प्रतियोगिता शुरु की-
(अ) सन् 1970 से।
(आ) सन् 1971 से।
(इ) सन् 1972 से।
(ई) सन् 1973 से।
उत्तर : (इ) सन् 1972 से ।
(घ) महात्मा गांधी के पास दुनियाभर से तमाम पत्र किस पते पर आते थे ?
(अ) मोहनदास करमचन्द्र गांधी — भारत।
(आ) महात्मा गाँधी-भारत।
(इ) बापूजी — इन्डिया ।
(ई) महात्मा गाँधी — इन्डिया।
उत्तर : (ई) महात्मा गाँधी — इंडिया ।
(ङ) तमाम सरकारी विभागों की तुलना में सबसे ज्यादा गुडविल किसकी है ?
(अ) रेल विभाग।
(आ) डाक विभाग।
(इ) शिक्षा विभाग |
(ई) गृह विभाग।
उत्तर : (इ) डाक विभाग ।
2. संक्षिप्त उत्तर दो (लगभग 25 शब्दों में)
(क) पत्र ऐसा क्या काम कर सकता है, जो संचार का
आधुनिकतम साधन भी नहीं कर सकता ?
उत्तर : पत्र मानसिक रूप से एक व्यक्ति को संतोष दे सकते है। पत्र हमेशा नया सिलसिला शुरू कर सकते है — राजनीति, साहित्य, कला के क्षेत्र में नई नई घटनाओं को भी पत्र के माध्यम से ही दे सकते है। जो आधुनिक साधनों ने नहीं दे सकते भी है।
(ख) चिट्ठियों की तेजी अन्य किन साधनों के कारण बाधा प्राप्त हुई है ?
उत्तर : चिट्ठियों की तेजी आज मोबाइल, फोन्स, वायरलेस, राडर आदि जैसे नयी नयी माध्यमों के कारण बाधा प्राप्त हुई है। दुनिया इन्हे बदल दिया लेकिन चिट्ठी का प्रयोग भी मान्य ओर से बढ़ते गया।
(ग) पत्र जैसा संतोष फोन या एस. एम. एस. का संदेश क्यों नहीं दे सकता ?
उत्तर : पत्रको लोग सहेज कर रख सकते है लेकिन एस.एम.एस. ऐसा नहीं कर सकता। एस. एम. एच जल्दी ही भूल जाने का सम्भावना है। पत्र में लोग मन की सच्ची भावनाओं का प्रकट करने का सुविधा है । एस.एम.एस. में नही।
(घ) गांधी जी के पास देश-दुनिया से आये पत्रों का जवाब वे किस प्रकार देते थे ?
उत्तर : गांधी जी ने जैसे ही कोई पत्र मिले तो जितना हो सके जल्दी ही उत्तर देने के लिए लग जाते थे। पत्र का जवाब खुद ही देते थे । लिखते लिखते जब थक जाते तो दूसरे हाथ जैसे वाएँ हाथ भी इस्तेमाल करते थे। गांधी जी दोनों हाथों से लिख सकते थे।
(ङ) कैसे लोग अब भी बहुत ही उत्सुकता से पत्रों का इंतजार करते है ?
उत्तर : मोबाईल, फेक्स आदि साधन होते हुए भी शहरों के लोग, झोपड़ियों के लोग, दुर्गम जंगलों के गाँव पहाड़ी इलाके के, रेगिस्थान ‘के तथा समुद्र तट के मचछूवारे तक एक ही पत्र पाने के लिए बड़ी उत्सुकता से आज भी इंतजार करते रहते है।
3. उत्तर दो (लगभग 50 शब्द)
(क) पत्र को खत, कागद, उत्तरम, लेख इत्यादि कहा जाता है। इन शब्द से संबंधित भाषाओं के नाम बताओ ।
उत्तर : पत्रों का भाव सब जगह में एक ही होता है। लेकिन जगह जगह पर अलग अलग भाषा में इसका नाम अलग अलग से पुकारे जाते है। जैसे-उर्दू में पत्र को खत, संस्कृत में पत्र, कन्नड़ मे कागद, तेलुगु में उत्तरम, जाबु और लेख और तामिल में कडिद नाम से पुकारे जाते हैं ।
(ख) पाठ के अनुसार भारत में रोज कितनी चिट्ठियाँ डाक में डाली जाती है और इससे क्या साबित होता है ?
उत्तर : पाठ के अनुसार आज करोड़ो चिट्ठियाँ डाक में डाली जाती है। इससे यह साबित हुआ कि आज मोबाइल, फेक्स, इंटरनेट आदि होते हुए भी पत्रों का आदर कम नहीं हुआ। विशेष रूप से तमाम सरकारी विभागों में इसका व्यवहार बढ़ते ही गया। मणिअर्डार, टेलिग्राम आदि जैसे साधन आज भी डाक के माध्यम से ही बकरार रहे है ।
(ग) क्या चिट्ठियों की जगह कभी फैक्स, ई-मेल, टेलीफोन तथा मोबाइल ले सकते है ?
उत्तर : वास्तव में कभी चिट्ठियों की जगह फेक्स, ई-मेल, टेलिफोन तथा मोबाइल नहीं ले सकते है। क्योंकि फेक्स, ई-मेल, मोबाइल आदि का काम के साथ चिट्ठी का काम अलग है। चिट्ठियाँ से लोग जो संतोष प्राप्त करते है यह बाकी आधुनिक कोई साधन नहीं दे सकते हैं। देश के तमाम घटनाओं का विवरण चिट्ठियों से ही विस्तार से दे सकते है, फेक्स से नहीं या अन्य साधनों से। ऐसे ही अनेक कारणों से कभी फैक्स, मेल, टेलिफोन या मोबाइल चिट्ठियों के जगह आ पहुँच नहीं पाएंगे।
(घ) किनके पत्रों से यह पता चलता है कि आजादी की लड़ाई बहुत ही मजबूती लड़ीगयी थी ?
उत्तर : भारत में आजादी के महासंग्राम के दिनों में जो अंग्रेज अफसरों ने अपने परिवार परिजनों के लिए चिट्ठी भेजा था। आगे चलकर यह चिट्ठी बड़ी महत्वपूर्ण बन गयी है। इन पत्रों से यह साबित हुआ कि भारत में आजादी की लड़ाई कितनी मजबूती से लड़ी गयी थी ।
(ङ) संचार के कुछ आधुनिक साधनों के नाम उल्लेख करो।
उत्तर : पहले दुनिया में जो पत्रों का राज था, यह बदल कर आज नये नये आधुनिक साधन यहाँ पर आ गया। जैसे- साधारण लोगों के हाथों में मोबाइल फोन । मोबाइल आज बंद होगा तो दुनिया बंद होगा। फेक्स के द्वारा लिखित रूप में निर्दिष्ट पता पर भेज दे सकते है। इस प्रकार ई- मेल, इन्टरनेट, रडार जैसे साधनों से दुनिया छोटा कर दिया। तो भी पत्र आज बरकरार रहे है।
4. सम्यक् उत्तर दो (लगभग 100 शब्दों में)
(क) पत्र लेखन की कला के विकास के लिए क्या-क्या प्रयास हुए ?
उत्तर : ‘पत्र’ देखने में एक साधारण सी लगती है, लेकिन यह साधारण पत्र दूनीया का तमाम साहित्य, राजनीति, आदि सभी क्षेत्रों जितनी सिलसिला शुरू किया उसके साथ आज का आधुनिकतम साधन तुलना ही नहीं। यह भी सत्य कि पत्र के साथ आधुनिकतम वैज्ञानिकों के आविष्कार में काफी प्रतियोगिता बढ़ी है। हजारों सालों से पुराना पत्र व्यवस्था पर आज मोबाइल, फैक्स, ई-मेल, इन्टरनेट, रडार आये है। लेकिन पत्र लेखन आज भी बरकरार ही है। पिछली शताब्दी में पत्र लेखन एक कला के रूप में विकशित हुआ था। विकास डाक व्यवस्था के सुधार के साथ पत्र व्यवस्था विकास में भी सुधार लाया है । इस व्यवस्था में स्कूली पाठ्यक्रम में पत्र लेखन शामिल करके के प्रयास किए गए। भारत के अलावा विश्व के कई देशों में यह प्रयास शुरू हुआ था। सफल भी हुए थे। विश्व डाक संघ ने और एक कदम आगे बढ़कर १९७२ सन से १६ वर्ष से कम आयुवर्ग के बच्चों के लिए पत्र लेखन प्रतियोगिता आयोजित किए थे। नये आधुनिक साधनों के तेज विकास तथा अन्य कारणों से पत्रों की दुनिया में वाधाएँ आयी तो भी सरकारी व्यवस्था तथा व्यापारिक व्यवस्था में पत्र का व्यवहार लगातार बढ़ती रहती है।
(ख) वास्तव में पत्र किसी दस्तावेज़ से कम नहीं है कैसे ?
उत्तर : वास्तव में पत्र किसी दस्तावेज से कम नहीं। क्यों कि किसी पत्र से उस समय के सामाजिक, राजनीतिक, साहित्य तथा लिखने वाले के व्यक्तिगत मनोदशा की लेखाजोखा मिलती है। इसमें सुमित्रानँदन पॅंत जी के दो सौ पत्र बच्चन के नाम निराला अर्थात सूर्यकांत त्रिपाठी जी के भी पत्र हमको मिलते है। इसमें प्रेमचंद, जी भी पीछे नहीं है उन्हें नये लेखकों को प्रेरक जवाब देते थे तथा पत्रों के जवाब में वेबहुत तत्पर रहते थे। जिससे नये लेखक को प्रेरणा मिलती है। प० नेहरू, महात्मा गांधी, रवीन्द्रनाथ टैगोर आदि के पत्र देश के प्रेरणा ही नहीं महान दस्तावेज है, दलील है, जिसे देश के नये पीढ़ियों को प्रेरणा देते आये है। महात्मा गांधी और रवींद्रनाथ जी के बीज सन १९१५ से १९४१ तक जितनी पत्र का आदान प्रदान हुआ ये सब संग्रहित रूप में प्रकाशित हुआ। जिससे देश के लिए नये तत्थों और उनकी मनोदशा का लेखा जोखा मिलता है। इस प्रकार किसी देश के लिए, किसी परिवार के लिए पुरुखों के पत्रों का संग्रह एकप्रकार दस्तावेज के रूप में माना जाता है।
(ग) भारतीय डाकघरों की बहु आयामी भूमिका पर आलोकपात करो।
उत्तर : भारतीय जन जीवन के लिए भारतीय डाक सेवा देवदूत जैसे। देश के तमाम सरकारी विभागों में से भारतीय डाक विभाग महत्वपूर्ण है, क्योंकि देश के प्रायः जनता इससे सम्पर्क में आया है। डाक विभाग के कृपा से शहरों के इमारतों में रहने वालो से झोपड़ी में रहने वालों तक डाक सेवा का प्रभाव पड़ा हुआ है। आज डाक व्यवस्था में पत्रों की ही आदान-प्रदान नहीं करते। अन्य व्यवस्था जैसे पार्सल, रे कारी डिपोजित, सेविंस आदि अनेक अर्थसंबंधी कार्य कर रहे है। डाक विभाग अपने कार्यक्रम देश विदेश तक फैले है। दूर अगम्य इलाकों में डाक विभाग के ही कृपा “मनीआर्डर” से चुल्हे जलते है। वहाँ डाक के कृपा “मनीआर्डर” से चुल्हे जलते है। वहाँ डाक के डाकिया को देवदूत के रूप में मानते है। इस प्रकार से देखा जाता है कि भारतीय डाकघरों की भूमिका बहुत ही प्रभावित है।
भाषा एवं व्याकरण ज्ञान
1. केवल ‘पत्र’ कहने से सामान्यतः चिट्टियों के बारे में ही समझा जाता है। परंतु अन्य शब्दों के साथ संयोग से पत्र का अर्थ बदल जाता है, जैसे समाचार पत्र । अब पत्र शब्द के योग से बनने वाले पांच शब्द लिखो।
उत्तर : प्रश्नपत्र निमत्रण पत्र, आवेदन पत्र, इस्ताफा पत्र, प्रेम पत्र ।
2. ‘व्यापारिक’ शब्द व्यापार के साथ ‘इक’ प्रत्यय के योग से बना है। ‘इक’ प्रत्यय से बनने वाले पाँच शब्द पुस्तक से खोज कर लिखो ।
उत्तर : टेलिफोन + इक = टेलफोनिक ।
व्यवहार + इक = व्यवहारिक।
संस्कृत + इक = सस्कृतिक ।
राजनीति + इक = राजनीतिक ।
समाज + इक सामाजिक।
3. दो स्वरों के मेल से होने वाले परिवर्तन को स्वर संधि कहते है, जैसे— रविंद्र = रवि + इंद्र । इस संधि इ + इ = ई हुई है। इसे दीर्घ संधि कहते है। संधियाँ चार प्रकार की मानी गई है— दीर्घ, गुण, वृद्दि और यण ।
ह्रस्व या दीर्घ अ, इ, उ के साथ ह्रस्व या दीर्घ अ, इ, उ, आ आए तो ये आपस में मिलकर क्रमशः दीर्घ आ, ई, ऊ हो जाते है, इसी कारण इस संधि को दीर्घ संधि कहते है, जैसे- संग्रह + आलय = संग्राहालय, महा + आत्मा = महात्मा ।इस प्रकार के दस उदाहरण खोजकर लिखो और अपने शिक्षक को दिखाओ ।
उत्तर :
गिरि + इन्द्र = गिरीन्द्र ।
भानु + उदय = भानूदय ।
पितृ + ऋण = पितॄण ।
मही + इन्द्र = महीन्द्र ।
भौजन + आलय = भोजनालय |
महा + आशय = महाशय ।
शिव + आलय = शिवालय ।
अन्न + अभाव अन्नाभाव ।
विद्या + आर्थी विद्यार्थी ।
विद्या + आलय = विद्यालय |